Friday 6 April 2012

Sarkari Avyavasthaye


खंड शिक्षाधिकारी श्री प्रमोद कुमार पटेल जी द्वारा कस्तूरबा गाँधी आवासीय बालिका विद्यालय कलान का निरिक्षण किया, इस दौरान कुछ बालिकाएं जमीन पर बठी अध्यन कर रही थी क्योंकि इस विद्यालय  को २००८ मई में डायट से फर्नीचर, गद्दे, बेड, आदि मिला था इसका टाइम ३ वर्ष होता है पर ४ साल होने के बाबजूद भी विद्यालय को न तो फर्नीचर मिला है और न ही उसके लिए कोई अलग से धनराशी मिली है।
छात्राओं को गर्मी से राहत के लिए बिज़ली, सुरक्षा के लिए महिला होमगार्ड व स्कूल की चाहरदीवारी के लिए एनजीओ को लिखा है, एनजीओ कहाँ से लगाएगा धनराशी। जो मिलता है उसमें से आधा तो अधिकारियों का ही होता है।
इस व्यवस्था के लिए सरकार धनराशी एनजीओ को उपलब्ध कराये या स्वयं उस कार्य को करे, अधिकारी आते हैं जाँच के लिए तथा अच्छी-अच्छी बातें करतें हैं तथा हमसे हमारी परेशानियाँ पूंछ लेते हैं हम भी भावना में आकर अपनी समस्याओं को बता देते हैं और उम्मीद लगा लेते हैं की हमारे भी दिन बहुरेंगे हम भी स्थाई हो जायेंगे तथा इस मंहगाई में ठीक से खाना तो खा सकेंगे, लेकिन हमारी उम्मीदों पर कुठाराघात तब होता है जब हमारे जांचकर्ता हमारे बॉस [एनजीओ] को यह बताते होंगें कि स्टाफ आपका बफादार नहीं है उसने हमें आपसे हो रही असुविधा के बारे में बताया है।
ऐसा तव होता है जब अधिकारियों को उनका अपना हिस्सा मिल जाता है।