Saturday 25 February 2012

inaka bhi surakshit ho bhavishya

  सरकार द्वारा सरकारी नौकरियों को प्राइवेट ठेकेदारों के हाथों सौपने की नीति को लगता है ठीक से लागू नहीं किया जा रहा है। आज की मंहगाई के ज़माने में ये ठेकेदार किसी चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी को मात्र तीन चार हज़ार रूपए वेतन देते हैं। इस राशी में एक आदमी अपने परिवार और वृद्ध माता पिता की जिम्मेदारी किस प्रकार निर्वहन कर सकता है, इतना ही नहीं ठेके की नौकरियों के स्थायित्य की भी कोई गारंटी नहीं। पता नहीं, कब बिना कसूर और कारण कह दिया जाय कि कल से काम पर मत आना कभी-कभी कर्मचारियों को इतनी दूर स्थानांतरित कर दिया जाता है कि वे परेशान होकर नौकरी छोड़ देते हैं या एंट्री बैन कर दी जाती है ताकि अनुपस्थित दिखा कर चलता किया जा सके सरकार को ठेके पर कम करने वाले कर्मचारियों के भविष्य को सुरक्षित रखने के जरूरी कदम उठाने चाहिए जैसे हर श्रेणी के कर्मियों का वेतन उसी श्रेणी के सरकारी कर्मचारी के वेतन से कम से कम आधा हो। छुट्टियाँ सरकारी तरीके से ही मिलें। ओवर टाइम का प्रावधान हो, अच्छा हो यदि इसके लिए आयोग या फिर निकाय स्थापित किये जाएँ, जिसके पास जुडिशियल पावर तो हो ही, हर तरह कि दूसरी प्रशासनिक शक्तियां जैसे ठेकेदारों के ठेके निरस्त करने, जुर्माना ठोकने जैसे अधिकार भी हों। 
शंकर लाल शाहनी, लखनऊ    

No comments:

Post a Comment