Sunday 5 February 2012

vytha sanvida karmi ki

     (१) यधपि संविदा कर्मी को कम से कम मानदेय दिया जाता है और उनकी नौकरी की भी कोई गारंटी नहीं है, संविदा के नाम पर सरकार नौकरियों का ट्रायल तो ले ही रही है साथ ही बेरोजगारों का भरपूर शोषण भी कर रही है, कम पैसों में ज्यादा से ज्यादा काम, वह बेचारा एक जगह बंधकर दूसरी जगह भी काम नहीं कर सकता, जब दूसरी जगह काम नहीं कर सकता तो उसी काम में ज्यादा कमाई के लिये गलत कदम उठाएगा घूसखोरी चोरी या बेईमानी मतलब भ्रष्टाचार को बढ़ावा।
    एक अधिकारी परिवार क्या सामान्य परिवार की अपेक्षा ज्यादा रोटी खा सकता है? नहीं, लेकिन फिर भी उस अधिकारी के लिए उसकी ऊँची सेलरी में भी गुजारा नहीं होता है, तभी तो वे उपरी आय की इच्छा रखते हैं ऐसे में सोचिये एक सामान्य परिवार जिसके मुखिया का मानदेय या सेलरी ३ या ७ हजार के बीच हो वह अपने परिवार का गुजारा कैसे कर सकता है, इसका मतलब है वह उपरी आय करे और भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिले।
     मेरी नज़र में वे सभी बेवकूफ हुए जो भ्रष्टाचार को ख़त्म करने का दावा करते हैं कहाँ से ख़त्म करेंगे इसकी जड़ें बहुत गहरी और मज़बूत हो चुकी हैं, सरकार एक परिवार जिसमे चार सदस्य हों के पालने भर का तो भत्ता दे नहीं सकती है, भ्रष्टाचार ख़त्म करेगी। हमारी तो राय है कि भ्रष्टाचार का नाम बदल कर शिष्टाचार तथा रिश्वत खोरी, घूसखोरी का नाम बदल कर सुविधा शुल्क रख देना चाहिए।
     (२) आठ सालों से सरकार का.गां.बा.वि. कर्मी का शोषण करती आ रही है, यह कहाँ तक सही है उसकी सहनशीलता की कितने वर्ष और परीक्षा ली जाती रहेगी, अन्य विद्यालयों में ६ घंटों को फुल टाइम कहा जाता है और सेलरी तीस हज़ार, का.गां.बा.वि. में ७ घंटों को पार्ट टाइम और २४ घंटे को फुल टाइम कहा जाता है और सेलरी ३ से ११ हज़ार इस लिहाज़ से कितनी सेलरी होनी चाहिए ये बताने की आवश्यकता नहीं है।
    (३) कभी कभी लगता है सरकार जानबूझ कर बेवकूफी करती है, अब देखिये न फुल टाइम टीचर यदि शादीशुदा है वह जिसके लिए पैसे कम रही है उसी से दूर है और ये तो संभव ही नहीं है की टीचर रेगुलर विद्यालय में निवास करे इसका मतलब अनियमतता आएगी और विद्यालय सुचारू रूप से नहीं चलेगा। अधिकतर जहाँ २४ घंटे कार्य होता हा वहां ३ शिफ्ट होती है का.गां.बा.वि. में यदि २ शिफ्ट ही कर दी जायें तो स्थिति बेहतर हो जाएगी। 
    (४) एक तो सरकारी कार्य हमेशा कछुआ चाल में रहा है अब देखिये न, का.गां.बा.वि. की बिल्डिंग बन गई है बालिकाएं विद्यालय में रही हैं न ही चाहरदीवारी है और न ही विधुत व्यवस्था है, जबकि जिस समय बिल्डिंग बनी थी उस समय यदि चाहरदीवारी बन जाती तो क्या बुराई रहती।   

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